नथुराम गोडसे - Bio
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Written by-Mady Wadkar
दोस्तो, हमारे पुरे भारत वर्ष मे नथुराम गोडसे को कौन नहीं जानता. पर उनकी ये पहचान उनके अच्छे कामो कि वजह से नहीं होती बल्की एक हत्यारे के रूप मे होती है. ऐसा क्यो है और नथुराम गोडसे कि क्या कहानी है..आज हम इस ब्लॉग मे इसी बारे मे बात करेंगे.
नथुराम गोडसे का जन्म महाराष्ट्र के पुणे जिल्हे मे हुआ था. उनके पिता का नाम विनायक वामनराव गोडसे था तथा माता का नाम लक्ष्मीबाई था. जन्म से उनका नाम रामचंद्र था परंतु एक घटना के चलते उनका नाम नथुराम पड गया था. नत्थुराम के जन्म से पहले उनके 3 भाई और एक बहन थी. पर दुर्बग्यवश उनके तीनो भाइयों कि मौत हो गयी थी. इसी के चलते बेटो कि इस तरह से होने वाली मौत से घबराकर नत्थुराम के माता पिता उनको बचपन मे लडकी बनांकर रखते थे और इस वजह से उनको बचपन मे नाक मे नथनी तक पहननी पडी थी. इसी कारणवश उनका नाम नथुराम पड गया था. उनके छोटे भाई के जन्म के बाद से उनके माता पिता उनको बेटा बताने लगे थे. पुणे जिल्हे के बारामती मे गोडसे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर ली थी. वो अपने स्कूल के दिनो मे महात्मा गांधी जी से बहोत प्रभावित थे. बाद मे उन्होने स्कूल छोड दिया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू महासभा के कार्यकर्ता बन गये थे. हालाकी उन्होने 1940 मे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ छोड दिया था.
वो एक हिंदू राष्ट्रवादी पत्रकार थे, उन्होने हिंदू महासभा के लिए एक मराठी अखबार कि स्थापना कि जिसका नाम अग्रणी था. जिसे कुछ सालो बाद हिंदू राष्ट्र के नाम से जाना जाने लगा. नत्थुराम गोडसे एक विचारक और समाज सुधारक सोच के वक्ता थे. साथ ही महात्मा गांधी जी के विचारो के अग्रेसर समर्थक थे. पर देश कि आजादी के बाद महात्मा गांधी जी के विचारो मे जो बदलावं देखने मिला उससे नत्थुराम गोडसे पुरी तरह से आहत थे. नत्थुराम गोडसे देश का विभाजन के विरोध मे थे.सिर्फ गोडसे ही नहीं देश मे कही सारे लोग विभाजन का विरोध कर रहे थे. पर महात्मा गांधी जी देश का विभाजन चाहते थे और ऐसा ही होते हुए देश का विभाजन हुआ. देश के विभाजन के बाद जो हिंदूओंका कत्लेआम हुआ उसके लिए नथुराम गोडसे ने पुरी तरह से महात्मा गांधी जी को जिम्मेदार माना. गोडसे के हिसाब से विभाजन के वक्त महात्मा गांधी जी द्वारा जो भी फैसले लिए गये वो सब मुसाल्मानॊ के हित मे थे. जो हिंदूओंके सुरक्षा का विचार किये बिना लिए गये थे.
30 जनवरी 1948 को दिल्ली मे महात्मा गांधी जी के प्रार्थना सभा मे नथुराम गोडसे पहूंचे, जहाँ उन्होने सर्व प्रथम महात्मा गांधी जी के चरण स्पर्श किये. बाद मे महात्मा गांधी जी को सहारा देने वाली लडकी को एक तरफ करते हुए उन्होने नजदिक से ही गांधी जी को 3 गोलिया मारकर उनकी हत्या कर दी थी. हत्या के बाद उन्होने भागने कि बिलकुल कोशिश नहीं कि और आत्मसमर्पण कर लिया था. उन्होने कोर्ट मे इस हत्या के पीछे कि वजह को साफ तरिके से और बिना किसी पचतावे के रख दिया था. साथ ही उन्होने इस हत्या मे किसी और के शामिल होने कि बात को नकारते हुए इस हत्या के लिए पुरी तरह खुद को जिम्मेदार माना था और उसके बाद 8 नवंबर 1949 को नथुराम गोडसे को फासी दी गयी थी.
तो ये थी नत्थुराम गोडसे कि कहानी. आज महात्मा गांधी जी के हत्या के लिए उनको देश मे राष्ट्रद्रोही माना जाता है, पर वही पे कुछ वर्ग आज आजादी के इतने सालो बाद भी नथुराम गोडसे के विचारो को सही मानते है. दोस्तो आप क्या सोचते है इस बारे मे हमे नीचे कंमेंट बॉक्स मे जरूर बतायें.
जय हिंद...जय भारत
English Translation
Friends, who does not know Nathuram Godse in our entire India year. But he is not identified because of his good works but as a murderer. Why is this and what is the story of Nathuram Godse..Today we will talk about it in this blog.
Nathuram Godse was born in Pune district of Maharashtra. His father's name was Vinayak Vamanrao Godse and mother's name was Lakshmibai. His name from birth was Ramachandra but due to an incident his name became Nathuram. Before the birth of Nathuram he had 3 brothers and a sister. Unfortunately, three of his brothers died. Because of this, Nathuram's parents used to keep him a girl in childhood, fearing the death due to this way, and because of this, he had to wear a nose to his nose in childhood. For this reason, his name was called Nathuram. After the birth of his younger brother, his parents started calling him son. Godse had his primary education in Baramati, Pune district. He was greatly influenced by Mahatma Gandhi during his school days. Later he left school and became an activist of Rashtriya Swayamsevak Sangh and Hindu Mahasabha. Although he left the Rashtriya Swayamsevak Sangh in 1940 itself.
He was a Hindu nationalist journalist, he founded a Marathi newspaper for the Hindu Mahasabha, whose name was pioneer. Which after a few years came to be known as Hindu Rashtra. Nathuram Godse was a thinker and social reformer. At the same time, Mahatma Gandhi was a forward-looking supporter of the ideas. But after the independence of the country, Nathuram Godse was completely hurt by the change in the thoughts of Mahatma Gandhi. Nathuram Godse was opposed to the partition of the country. Not only Godse, all the people in the country were opposing the partition. But Mahatma Gandhi wanted to divide the country and in the same way the country was partitioned. Nathuram Godse held Mahatma Gandhi completely responsible for the slaughter of Hindus after the partition of the country. According to Godse, all the decisions taken by Mahatma Gandhi at the time of Partition were in the interest of Mussalman. Which were taken without considering the safety of Hindus.
On 30 January 1948, Nathuram Godse arrived at Mahatma Gandhi's prayer meeting in Delhi, where he touched the feet of Mahatma Gandhi. Later, while putting aside the girl who supported Mahatma Gandhi, he had killed Gandhiji by shooting three bullets from Nazadik itself. After the assassination, he did not try to escape and surrendered. He had clearly put the reason behind this murder in court and without any digestion. At the same time, while denying that anyone else was involved in this murder, he fully believed himself responsible for this murder and after that on 8 November 1949, Nathuram Godse was given a penalty.
So this was Nathuram Godse's lehenga. Today, he is considered as a traitor in the country for the murder of Mahatma Gandhi, but some sections on the same today, even after so many years of independence, consider the thoughts of Nathuram Godse Ji right. Friends, please tell us about this in the comment box below.
Jai Hind..Jai Bharat
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