Inspirational Crime And Suspense Story in Hindi

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  प्रस्तावना  "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसे हर कोई अपनी जिंदगी मे जीता है. "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसमे हर किसी के भविष्य की निव रखी जाती है. इसलिये हमारे घर के बच्चों के बचपन का खयाल रखने की प्रमुख जिम्मेदारी उनके माता पिता की होती है. बचपन मे बच्चों के आसपास घटित होने वाली हर घटना का प्रत्यक्षरूप से असर बच्चों के जिंदगी पर पडता रहता है. अगर अच्छी घटनाए घटित हो तो उसका अच्छा असर और अगर बुरी घटनाए घटित हो तो उसका बुरा असर बच्चों के जिंदगी पर पडता दिखाई देता है. इसलिये अपने बच्चों के आसपास घटित हो रही घटना ओंकी जानकारी रखना हर माता पिता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन जाती है… साथ ही अपने बच्चों को अच्छे माहोल मे रखने की जिम्मेदारी भी उनके माता पिता की हो जाती है.  बच्चों का अच्छा भविष्य निर्मित करने मे सबसे बडी भुमिका बच्चों को उनके माता पिता के द्वारा दिये गये संस्कारों की होती है और अगर इस काम मे माता पिता से चूक हो जाये तो उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है. मैने अपने इस किताब से यही बात समझाने का प्रयास किया है. हम बहोत बार अपने बच्चों की गलतियों को छोटा समझकर नजर अंदा

महाराष्ट्र मे आपातकाल 2.0

Written by- Mady Wadkar


आज शर्मसार हुए महाराष्ट्र के लोग  
आज शर्मसार हुए शिवाजी महाराज के सिद्धांत 
आज शर्मसार हुआ आम लोगों का विश्वास 
आज शर्मसार हुआ पुरा महाराष्ट्र 
और 
आज शर्मसार हुआ देश का संविधान

दोस्तो कुछ ऐसी हि बाते 1975 मे इमर्जन्सी के दौरान कही जा रही थी. पर आज कल ये सारी बाते फिर एक बार पुरे देश से सुनायी दे रही है और इसके लिए पुरी तरह से महाराष्ट्र कि सरकार जिम्मेदार है. 

        इन दिनो महाराष्ट्र कि सरकार जिस तरह से अर्नब  गोस्वामी से सलुक कर रही है जिसके चलते आज पुरे देश से कही सारे लोग इसे इमर्जन्सी 2.0 समझने लगे है. जो सही भी है. सत्ता का दुरुपयोग कर जब से महाराष्ट्र पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लिया है तब से पुरे देश से अर्नब गोस्वामी को रिहा करने कि मांग हो रही है. देश के हर राज्य मे महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आवाज उठ रही है.

         हमारे देश मे हर नागरीक को देश के कानून ने अपनी बात रखने का और अपना बचाव करने का पुरा अधिकार दिया है. अर्नब गोस्वामी तो देश के सन्माननीय पत्रकार है जो हमेशा देश हित के मुद्दे उठाकर सच को सामने रखने का कम करते है. बहोत सी ऐसी बाते है जिस वजह से महाराष्ट्र मे आपातकाल कहना गलत नहीं होगा.
  •  अर्नब गोस्वामी जैसे पत्रकार को बिना किसी नोटीस के उनके घर जाकर उनके घरवालो  के सामने गिरफ्तार कर लेना वो भी उस केस के लिए जिस केस को पहले से हि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कोई सबूत ना मिलने के कारण बंद कर दिया गया हो...क्या ये सही है? 
  • अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करने के बाद उनको उनके वकिलों से बात ना करने देना....क्या ये सही है? 
  • जिस केस को बंद कर दिया गया था उस केस को फिर से शुरु करने कि पद्धती को बिना पुरे किये कोर्ट कि परमिशन के बिना अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लेना...क्या ये सही है? 
  • अर्नब गोस्वामी को जेल लेके जाते वक्त उनकि पुलिस वॅन को पुरी तरह से कपडे से ढक कर लेके जाना ताकी वो मीडिया से किसी प्रकार कि बातचीत ना कर पाये...क्या ये सही है? 
  •  बिना किसी नोटीस के और बिना किसी कोर्ट के परमिशन के अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लेने के बावजुद उनके साथ कस्टडी के दौरान बदसलुकी करना.....क्या ये सही है...

          दोस्तो ऐसे कही सारे सवाल है जिस वजह से आज देश को इमर्जन्सी कि याद आ रही है और लोग महाराष्ट्र सरकार कि इस व्यवहार को इमर्जन्सी 2.0 समझने लगे है.
                      

          अर्नब गोस्वामी को जब भी सरकार कि ओर से पूछताच के लिए समन किया गया है तब तब अर्नब गोस्वामी ने सरकार को और पुलिस को उनके समन को सम्मान देते हुए पुरा सहयोग किया है. साथ हि रिपब्लिक चैनल के पत्रकारों ने भी हमेशा सहयोग किया है. फिर इस तरह कि गिरफ्तारी क्यो? इस तरह का व्यवहार क्यों?  इन्ही सारे सवालों को आज पुरा देश पूछ रहा है.

        देश कि हि जनता है जो सरकारे बनाती है और बिघाडती भी है. 1975 मे जब सत्ता का दुरुपयोग कर  इमर्जन्सी लगायीं गयी थी इंदिरा गांधी द्वारा तब अगले चुनाव मे जनता ने उन्हे सबक सिखा दिया था. आज भी जिस तरह से सत्ता का दुरुपयोग कर बदले कि भावना से अर्नब गोस्वामी के खिलाफ व्यवहार किया जा रहा है, इस बात को आज पुरा देश और पुरा महाराष्ट्र देख रहा है. 

        खुद को शिवाजी महाराज के पूर्वज बताने वाले, खुद को बाळासाहेब ठाकरे के शिष्य बताने वाले, खुद को राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी बताने वाले आज जिस तरह से सत्ता का दुरुपयोग कर रहे है ये देखकर महाराष्ट्र कि जनता खुद से आज एक हि सवाल कर रही होगी के ये दिन देखने के लिए हमने इन पार्टी ओंको वोट किया था क्या?  वैसे भी ये सरकार महाराष्ट्र कि जनता कि पसंद के विपरीत जाकर बनी हुई सरकार है क्यों कि महाराष्ट्र कि जनता कि पहली पसंद  बीजेपी थी. जिस राज्य मे जनता कि पसंद को ताक पर रखकर सरकार बनायी गयी हो उस राज्य मे जनता के विस्वास को ताक पर रख देना कोई बडी बात नहीं होगी. 

            आज पुरे देश मे कही सारे लोग महाराष्ट्र सरकार कि इस हरकत को इमर्जन्सी 2.0 मान रहे है. बंद किये हुए केस को शुरु करने कि पद्धती को पुरा किये बिना अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार कर लेना क्या कोर्ट कि अवहेलना नहीं है?  अगर कोर्ट कि अवहेलना है तो ये अपराध नहीं है?  और अगर अपराध है तो महाराष्ट्र पुलिस के उपर कोर्ट कि और कानून का उल्लंघन करने का केस नहीं होना चाहिये?  
         दोस्तो आप क्या सोचते है ये आप हमे नीचे कमेंट बॉक्स मे जरूर बतायें.

जय हिंद....जय भारत...

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