Inspirational Crime And Suspense Story in Hindi

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  प्रस्तावना  "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसे हर कोई अपनी जिंदगी मे जीता है. "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसमे हर किसी के भविष्य की निव रखी जाती है. इसलिये हमारे घर के बच्चों के बचपन का खयाल रखने की प्रमुख जिम्मेदारी उनके माता पिता की होती है. बचपन मे बच्चों के आसपास घटित होने वाली हर घटना का प्रत्यक्षरूप से असर बच्चों के जिंदगी पर पडता रहता है. अगर अच्छी घटनाए घटित हो तो उसका अच्छा असर और अगर बुरी घटनाए घटित हो तो उसका बुरा असर बच्चों के जिंदगी पर पडता दिखाई देता है. इसलिये अपने बच्चों के आसपास घटित हो रही घटना ओंकी जानकारी रखना हर माता पिता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन जाती है… साथ ही अपने बच्चों को अच्छे माहोल मे रखने की जिम्मेदारी भी उनके माता पिता की हो जाती है.  बच्चों का अच्छा भविष्य निर्मित करने मे सबसे बडी भुमिका बच्चों को उनके माता पिता के द्वारा दिये गये संस्कारों की होती है और अगर इस काम मे माता पिता से चूक हो जाये तो उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है. मैने अपने इस किताब से यही बात समझाने का प्रयास किया है. हम बहोत बार अपने बच्चों की गलतियों को छोटा समझकर नजर अंदा

Ludo - Film Review

Written by - Mady Wadkar 

                        


        दोस्तो कुछ काम ऐसे होते है जिन्हें बताने से जादा खुद करने मे मजा होता है.  Ludo film भी कुछ ऐसी हि है. जिसके बारे मे बताने और सुनने से जादा इस फिल्म को खुद जाके देखने मे मजा है. 

         फिल्म के बारे मे बात करे तो फिल्म ऐसी है के फिल्म के बारे मे समझा पाना बहोत हि मुश्किल है,  इसलिये जादा बात ना करते हुए फिल्म के बेहद जरुरी चीजों के बारे मे बात करेंगे. 

        बचपन मे खेले गये Ludo खेल के अंत को समझ पाना जिस तरह मुश्किल था उसी तरह इस फिल्म को और फिल्म के अंत को समझ पाना मुश्किल है. इसी खेल कि तरह 4 किरदार इस फिल्म मे है. एक किरदार है जो जिंदगी के दस्तुरों को ना समझते हुए प्यार कि नाव पर सवार है और जिसे वो प्यार कर रहा है वो उसे नहीं उसके पैसे को अपनी मोहब्बत बना चुकी है. दुसरा किरदार है जो प्यार कि नाव पर हि नहीं पुरे जहाज पर सवार है जो अपने शादीशुदा प्यार के लिए भी मर मिटने को तैय्यार है. तिसरा किरदार है वो मासूम और गरीब है जो गरिबी और लाचारी का शिकार है. चौथा किरदार है जो जेल कि दुनिया से निकलकर ताजी हवा खा रहे है पर उसी वक्त उसकी जिंदगी मे एक छोटी बच्ची ने एन्ट्री मारी है जिसके किडनॅपींग का इल्जम उसके सर आया हुआ है. फिल्म के रीड कि हड्डी साबित होते है पंकज त्रिपाठी जिन्हें किसी भी रोल मे डालो ये फिट बैठ जाते है. 

                     


       पर सच तो ये है कि Ludo फिल्म कि असली ताकत और जान इस फिल्म के डायरेक्टर अनुराग बासू है जिनके दमदार डायरेक्शन ने इस फिल्म के लेवल को कही गुना बढा दिया है. चार अलग किरदारो कि जिंदगी को एक जिंदगी मे घोलने का सही काम अनुराग बासू ने किया है जैसे उन्होने अपनी पिछली फिल्मो मे भी कामयब तरिके से किया है.

      दुसरी खास बात इस फिल्म कि कास्टिंग है. इस फिल्म के  सारे किरदरो ने अपने अपने रोल को सही  Justice किया है. सभी किरदरो ने अपना अब तक का  बढिया काम इस फिल्म मे दिया है ये कहना गलत नहीं होगा. इस फिल्म को देखने के बाद आप फिल्म के युनिक कन्टेन्ट के दिवाने तो होंगे हि पर साथ हि फिल्म के सारे किरदरो के दिवाने भी हो जायेंगे. 

      दोस्तो बहोत दिनो के बाद डायरेक्टर अनुराग बासू कि मेहरबानी से बॉलीवूड मे एक फ्रेश और सुपर युनिक फिल्म रिलीज हो चुकी है जिसे ना देखने कि भूल करना मतलब अपनी जिंदगी कि सबसे बडी भूल करने के समान है. आपके पैसे और आपका समय दोनो खराब नहीं होंगे इस बात कि गॅरंटी हम दे सकते है 

        हमारे तरफ से ल्युडो फिल्म को 5 मे से 4 स्टार. एक स्टार अनुराग बासू कि सुपर डायरेक्शन के लिए, दुसरा स्टार फिल्म के सारे किरदारो के सुपर प्रदर्शन के लिए, तिसरा स्टार फिल्म के युनिक कन्टेन्ट के लिए और चौथा स्टार फिल्म के climax के लिए और फिल्म के संगीत के लिए. 


 जय हिंद जय भारत 

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