Inspirational Crime And Suspense Story in Hindi

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  प्रस्तावना  "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसे हर कोई अपनी जिंदगी मे जीता है. "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसमे हर किसी के भविष्य की निव रखी जाती है. इसलिये हमारे घर के बच्चों के बचपन का खयाल रखने की प्रमुख जिम्मेदारी उनके माता पिता की होती है. बचपन मे बच्चों के आसपास घटित होने वाली हर घटना का प्रत्यक्षरूप से असर बच्चों के जिंदगी पर पडता रहता है. अगर अच्छी घटनाए घटित हो तो उसका अच्छा असर और अगर बुरी घटनाए घटित हो तो उसका बुरा असर बच्चों के जिंदगी पर पडता दिखाई देता है. इसलिये अपने बच्चों के आसपास घटित हो रही घटना ओंकी जानकारी रखना हर माता पिता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन जाती है… साथ ही अपने बच्चों को अच्छे माहोल मे रखने की जिम्मेदारी भी उनके माता पिता की हो जाती है.  बच्चों का अच्छा भविष्य निर्मित करने मे सबसे बडी भुमिका बच्चों को उनके माता पिता के द्वारा दिये गये संस्कारों की होती है और अगर इस काम मे माता पिता से चूक हो जाये तो उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है. मैने अपने इस किताब से यही बात समझाने का प्रयास किया है. हम बहोत बार अपने बच्चों की गलतियों को छोटा समझकर नजर अंदा

अटल बिहारी वाजपेयी - Bio

Written by-Mady Wadkar       

         राजनीती एक ऐसा घटक है जिसमे राजनैतिक पार्टीया अपने विरोधी पार्टीयों के विरोधी नेता ओंकी कभी तारीफ करते नजर नहीं आते. चाहे उस विरोधी पार्टी का या फिर विरोधी नेता का काम कितना भी सराहणीय क्यो ना हो. पर अटल बिहारी वाजपेयी राजनीती के एक ऐसे नेता थे जिनका सन्मान सभी विरोधी पार्टी ओंके नेता किया करते थे. आज हम इस ब्लॉग मे उन्ही के सफल जीवन यात्रा कि बात करेंगे. 

        अटल बिहारी वाजपेयी जी कि जीवन यात्रा का विवरण इस एक ब्लॉग मे कर पाना बहोत ही मुश्किल है.  फिर भी हम इस ब्लॉग के माध्यम से उनके जीवन को समझने कि कोशिश करेंगे. 

             


          अटल जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर मे हुआ था. पिताजी का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था. उनके पिता एक शिक्षक थे और उसके साथ ही वो एक उमदा कवी भी थे. पिताजी कि इस कला को आत्मसात कर अटल जी भी एक खूबसूरत कवी बने थे. अटल जी ने शुरुवाती पढाई सरस्वती शिष्य मंदिर ग्वालीयार से पुरी कि थी. बाद मे उच्चतम पढाई अटल जी ने महाराणी लक्ष्मीबाई कॉलेज से पुरी कर ली थी.  उसके बाद उन्होने डिएबी कॉलेज कानपुर से पोस्ट ग्रॅजुएशन करते हुए मास्टर  ऑफ आर्टस् कि डिग्री भी हासील कर ली थी. 

           अटल जी केवल 15 साल कि उम्र मे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक दल (RSS) से जुड गये थे.  उसके बाद से ही वो राजनीती मे सक्रिय रहने लगे थे. इसी के चलते आगे जाकर 1942 मे क्विट इंडिया मूव्हमेंट के दौरान अटल जी को गिरफ्तार भी कर लिया गया था. जिसके लिए उन्हे 23 दिनो तक जेल मे रहना पडा था. 1944 मे अटल जी को आर्य समाज का जनरल सेक्रेटरी नियुक्त किया गया और यही से सही मायने मे अटल जी के राजनैतिक जीवन का आरंभ हो गया था. साथ ही इतनी कम उम्र मे उन्होने ये तय कर लिया था के वो अपनी पुरी जिंदगी देश कि सेवा मे व्यथित कर देंगे और इसके लिए वो शादी भी नहीं करेंगे.

        1947 मे देश कि आजादी के बाद वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख प्रचारक बन गये थे. इसी के चलते संघ के विस्तारक कि तौर पर उन्हे उत्तर प्रदेश भेज दिया गया. इसके साथ ही अटल जी का कद और अटल जी का नाम भारत कि राजनीती मे तेजी से फैलने लगा था. भारतीय जन संघ कि पार्टी कि और से 1957 मे चुनाव लड़ते हुए अटल जी ने दॊ अलग जगह से चुनाव लड लिया था. जिसमे से वो मथुरा से हार गये थे तो वही दुसरी ओर वो बलरामपूर से जीत गये थे. उस वक्त कि उनकी भाषण शैली को और उनकी कार्यक्षमता को देखते हुए उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने कहा था के अटल जी एक दिन जरूर भारत के प्रधानमंत्री बन सकते है. 

        दिन दयाल उपाध्याय जी कि मृत्यू के बाद से अटल जी भारतीय जन संघ के प्रमुख व्यक्ती बन चुके थे. ऐसे मे आगे चलकर जब इंदिरा गांधी द्वारा इमर्जन्सी लगायीं गयी थी तब उस दौरान कही सारे अन्य नेता ओंके साथ अटल जी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था.उसके बाद ही 1977 मे जब दोबारा चुनाव हुए तो जनता दल कि सरकार बनी. जिसमे मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने और अटल जी को विदेश मंत्री बनाया गया. अटल जी कि विशेषतः इस बात से साबित होती है कि अटल जी ने उस वक्त कि युनायटेड नेशन जनरल असेम्ब्ली मे हिंदी भाषा मे अपना भाषण दिया था. इसी के साथ अटल जी ने खुद को एक समर्पित और सक्षम राजनेता के रूप मे साबित कर दिया था. 

                 


         आगे जाकर 1980 मे अटल जी ने अपने परम मित्र रहे लाल कृष्ण आडवाणी और भैरव सिंग शेखावत के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी का निर्माण कर लिया. साथ ही वो भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष नियुक्त किये गये थे. पार्टी निर्माण के बाद हुए चुनाव मे अटल जी कि पार्टी को केवल 2 सीटे मिल पायी थी. जिसमे से एक सीट अटल जी को और एक सीट लाल कृष्ण आडवाणी को मिल पायी थी. बाद मे अटल जी ने अपने साथियो के साथ मिलकर अपनी पार्टी को बढाते हुए 1996 तक पार्टी को देश कि सबसे बडी पार्टी बना दिया और वो पहली बार 16 मई 1996 को देश के प्रधानमंत्री बने. पर दुर्भाग्य से ये गठबंधन से बनी सरकार होने के कारण जादा समय तक टिक नहीं पायी थी और अटल जी ने केवल 13 दिनो मे अपना इस्तीफा देकर सरकार को गिरा दिया था. आगे 1998 मे दोबारा हुए चुनाव मे बीजेपी ने NDA के साथ मिलकर दोबारा सरकार बना ली पर ये सरकार भी केवल 13 महिनो तक चल पायी थी. सरकार गिरने के कुछ समय बाद दोबारा हुए चुनाव मे बीजेपी को NDA के साथ मिलकर सर्वाधिक 303 सीटे मिली. इसी के साथ 13 अक्तूबर 1999 को अटल जी ने तिसरी बार प्रधानमंत्री पद कि शपथ ले ली और इस बार सफल तरिके के साथ उन्होने अपना कार्यकाल भी पुरा कर लिया था. 

         देश के प्रधानमंत्री पद के उनके 5  साल के कार्यकाल को आज भी लोग याद रखते है. इस दौरान उन्होने बहोत अच्छे कार्य किये थे जिसके चलते देश का इकॉनॉमी रेट भी बढिया था. कारगिल युद्ध के चलते उन्होने जिस तरह से देश का प्रतिनिधित्व किया था वो आज भी सभी को याद है. इसके बावजुद 2004 के लोकसभा चुनाव मे अटल जी कि पार्टी को हार का सामना करना पडा था. उसके बाद अपने उम्र को देखते हुए अटल जी ने राजनीतिक जीवन से सन्यास ले लिया था. 

         अटल जी किस व्यक्तित्व के धनी थे ये उनके कविता ओंके शब्दों से ही पता चल जाता है. एक ऐसी शाखसियत जिसकी तारीफ विरोधी पार्टीयों के नेता भी करते नहीं थकते थे. उनके देश के हित मे किये गये सेवा को मध्य नजर रखते हुए उन्हे भारतरत्न से भी सन्मानित किया गया है. 16 अगस्त 2018 मे ही अटल जी हम सबको छोडकर चले गये है, पर उनके विचार सारे देश वासियों के दिल मे हमेशा रहेंगे. 

       दोस्तो तो ये थी अटल बिहारीं वाजपेयी जी के सफल जीवन कि सफल कहानी. आप अटल जी के बारे मे क्या सोचते है, ये आप हमे नीचे कंमेंट बॉक्स मे जरूर बतायें. 

जय हिंद... जय भारत 


English Translation 

          Politics is such a component in which political leaders, who are opposed to their opposition parties, are never seen praising them.  No matter how inconvenient the work of that opposing party or anti-leader is.  But Atal Bihari Vajpayee was a politician who was respected by all the opposition party leaders.  Today we will talk about his successful life journey in this blog.

          Atal Bihari Vajpayee ji is very difficult to get details of life journey in this one blog.  Nevertheless, we will try to understand his life through this blog.

                


           Atal ji was born on 25 December 1924 in the city of Gwalior in Madhya Pradesh.  Father's name was Krishna Bihari Vajpayee and mother's name was Krishna Devi.  His father was a teacher and along with him he was also a great poet.  Atal ji had also become a beautiful poet by imbibing this art of father.  Atal ji's early studies were completed from Saraswati disciple temple, Gwalior.  Later Atal ji completed the highest studies from Maharani Laxmibai College.  After that, while doing post graduation from DIB College Kanpur, he also got a Master of Arts degree.

          Atal ji had joined the Rashtriya Swayamsevak Dal (RSS) only at the age of 15 years.  Since then, he started being active in politics.  Due to this, Atal ji was also arrested during the Quit India Movement in 1942.  For which he had to stay in jail for 23 days.  In 1944, Atal ji was appointed as the general secretary of Arya Samaj and this was the beginning of Atal ji's political life in the true sense.  Also, at such a young age, he had decided that he would disturb his entire life in the service of the country and for this he would not even marry.

           After independence of the country in 1947, he became the chief developer of the Rashtriya Swayamsevak Sangh.  Due to this, he was sent as Uttar Pradesh's expander.  With this, Atal ji's stature and Atal ji's name started spreading rapidly in India's politics.  Atal ji contested elections from two different places while fighting elections from the party of Bharatiya Jan Sangh in 1957.  Of which he lost to Mathura, then he won from Balarampur on the other side.  Seeing that his speech style and his efficiency at that time, then Prime Minister Jawaharlal Nehru ji had said that Atal ji can one day become Prime Minister of India.

                  


           Dayal Upadhyay ji that since death, Atal ji had become the main person of Bharatiya Jan Sangh.  In such a situation, when Indira Gandhi was imposed an emergency, Atal ji was arrested along with all other leaders, during that time, only after the re-election in 1977, the Janata Dal government was formed.  In which Morarji Desai became the Prime Minister of India and Atal ji was made the foreign minister.  Atal ji especially proves that Atal ji gave his speech in Hindi language in the United Nations General Assembly at that time.  With this Atal ji had proved himself as a dedicated and capable politician.

          Further, in 1980, Atal ji formed the Bharatiya Janata Party with his best friends Lal Krishna Advani and Bhairav ​​Sing Shekhawat.  Also, he was appointed the first president of the Bharatiya Janata Party.  Atal ji's party could get only 2 seats in the elections held after the formation of the party.  Of which one seat was won by Atal ji and one seat was given to Lal Krishna Advani.  Later Atal ji, along with his friends, increased his party and made the party the largest party in the country till 1996 and he became the Prime Minister of the country on 16 May 1996 for the first time.  Unfortunately, due to this coalition government, it did not last long and Atal ji had to resign in only 13 days and toppled the government.  Further, in the re-election in 1998, the BJP formed a government again with the NDA, but this government too could run only for 13 months.  Shortly after the fall of the government, the BJP got the maximum 303 seats in the re-election together with the NDA.  With this, on October 13, 1999, Atal ji took the oath of Prime Minister for the third time and this time he had completed his term with a successful approach.

          People still remember his 5-year tenure as the Prime Minister of the country.  During this time, he did a lot of good work, due to which the economy rate of the country was also increased.  Everyone still remembers the way he represented the country in the wake of Kargil war this, Atal ji's party had to face defeat in the 2004 Lok Sabha elections.  After that, seeing his age, Atal ji retired from political life.

           Atal ji was rich in whose personality it is known only by his poetic words.  A celebrity that even the leaders of the opposing parties would not tire of praising.  Keeping a close watch on the service done in the interest of his country, he has also been honored with Bharatratna.  In 16 august 2018 itself, Atal ji has left all of us, but his thoughts will always be in the hearts of all the people.

          Friends, this was the successful story of Atal Bihari Vajpayee's successful life.  What do you think about Atal ji, you must tell us in the comment box below.


 Jai Hind... Jai Bharat


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