Inspirational Crime And Suspense Story in Hindi

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  प्रस्तावना  "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसे हर कोई अपनी जिंदगी मे जीता है. "बचपन" एक ऐसा पर्व जिसमे हर किसी के भविष्य की निव रखी जाती है. इसलिये हमारे घर के बच्चों के बचपन का खयाल रखने की प्रमुख जिम्मेदारी उनके माता पिता की होती है. बचपन मे बच्चों के आसपास घटित होने वाली हर घटना का प्रत्यक्षरूप से असर बच्चों के जिंदगी पर पडता रहता है. अगर अच्छी घटनाए घटित हो तो उसका अच्छा असर और अगर बुरी घटनाए घटित हो तो उसका बुरा असर बच्चों के जिंदगी पर पडता दिखाई देता है. इसलिये अपने बच्चों के आसपास घटित हो रही घटना ओंकी जानकारी रखना हर माता पिता की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी बन जाती है… साथ ही अपने बच्चों को अच्छे माहोल मे रखने की जिम्मेदारी भी उनके माता पिता की हो जाती है.  बच्चों का अच्छा भविष्य निर्मित करने मे सबसे बडी भुमिका बच्चों को उनके माता पिता के द्वारा दिये गये संस्कारों की होती है और अगर इस काम मे माता पिता से चूक हो जाये तो उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाता है. मैने अपने इस किताब से यही बात समझाने का प्रयास किया है. हम बहोत बार अपने बच्चों की गलतियों को छोटा समझकर नजर अंदा

Ranjit Singh Disale - Global Teacher of India

Written By - Mady Wadkar 

           


       दोस्तो हमारे देश मे सरकारी स्कुलों का स्तर पुरी तरह घटते दिखाई दे रहा है तो वही पे खाजगी स्कुलें तेजी से अपना प्रसार करते दिखाई दे रहे है. इसके साथ ही शिक्षा के नाम पर शिक्षा का व्यापार भी तेजी से बढता दिखाई दे  रहा है. 

         अब इसके लिए जिम्मेदार लोगों की और जिम्मेदार संस्था ओकी बात करे तो ये बहोत बडी लिस्ट बन जायेगी. संक्षिप्त मे बात करे तो सरकार मे ही बैठे बहोत सारे लोग ही खुद के नाम से या फिर अपने परिजनों के साथ मिलकर खाजगी स्कुल खोल लेते है और शिक्षा के नाम पर व्यापार शुरु कर देते है. हर कोई अपनी जेब भरना चाहता है. ऐसे मे गरीब लोगों के भविष्य का क्या? जो लोग खाजगी स्कुलों की फीज भरने मे असक्षम है उन लोगों का क्या? ऐसे गरीब लोगों को शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी उठाने के नाम पर शिक्षा का व्यापार करने वाले अधिकारीयो को और नेता ओंको कौन रोकेगा?  ऐसे कही सारे सवाल आज आम आदमी उठा रहे है और ये सवाल उठना लाजमी बात है. 

        आज इस तरह की शिक्षा के व्यापार को रोकने के लिए और सरकारी स्कुलों का स्तर बढाने के लिए सरकार को गंभीर होने की आवश्यकता है. इसी बीच महाराष्ट्र के एक शिक्षक ने सरकारी स्कुलों को उच्च स्तरीय स्कुल बनाने का विडा उठाया है. जिनका नाम है रणजित सिंग डिसले. इन्होने जो काम किया है वो बहोत अभूतपूर्व और हमारे देश के लिए गौरव की बात है. तो आज हम इस ब्लॉग मे इन्ही के प्रेरणादायी कार्य के बारे मे बात करेंगे. 

            


         रणजित सिंग डिसले एक  महाराष्ट्र के सोलापूर के खांडवी जिल्हा परिषद स्कुल मे पढाने वाले प्राथमिक शिक्षक है. सरकारी स्कुलों की घटती स्तरता के बीच रणजित सिंग जी सरकारी स्कुलों को बेहतर बनाने की उम्मीद के साथ पढाते थे. एक दिन वो किसी एक दुकान मे गये जहाँ उन्होने देखा के QR कोड के जहरीये स्कॅन करते हुए पैसे का लेन देण हो रहा है. इसी को देखकर उनके दिमाग मे डिजिटल एजुकेशन का खयाल आया. पर दोस्तो सोचने और करने मे बहोत अंतर होता है. लेकिन रणजित सिंग डीसले जी ने इस पर काम करते हुए शिक्षा को घर तक पहुंचाने का काम किया. उन्होने एक ऐसा कोड बनाया जिसमे किताबो के पाठ विडिओ फॉर्मेट मे और कविताए ऑडिओ फॉर्मेट मे दिखाई देते है. उस विडिओ और ऑडिओ फॉर्मेट मे किताबो के पाठ का और कविता का आशय बेहद खुबसूरती से दिखाया जाता है. जो  विद्यार्थी ओंको सिखने और समझने मे बहोत ही आसान जाता है. 

        दोस्तो सबसे खूबसूरत बात ये है की रणजित सिंग डीसले जी की इस प्रेरणादायी कार्य की दखल दुनिया की सबसे बडी कंपनी मायक्रोसॉफ्ट ने ले ली है और साथ ही मायक्रोसॉफ्ट ने इसे दुनिया के 300 इनोव्हेटिव्ह प्रोजेक्ट्स के अंदर शामिल कर लिया है. फिलहाल रणजित सिग जी दुनिया के 11 देशो के साथ मिलकर इस तरह की किताबे बनाने का काम कर रहे है. रणजित सिंग जी के इस कार्य की सराहणा करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने भी राज्य के सारे स्कुलों मे किताबो को QR कोड फॉर्मेट मे बनाने का काम कर रही है. दोस्तो रणजित सिंग जी यही पर ना रुकते हुए विद्यार्थी ओंके अंदर शिक्षा के प्रति की भावना ओंको अधिक दृढ बनाने के लिए उन्होने वर्चुअल फिल ट्रिप के प्रोजेक्ट को शुरु किया. जिसके अंतर्गत आज वो दुनिया के अलग अलग देशो की स्कुलो से संवाद कर पाते है.  इस वजह से विद्यार्थी ओंको दुसरे देशो के लोगों को समझने मे और उनकी संस्कृती एवं भाषा को जानने मे मदद होती है. 

                  


        दोस्तो रणजित सिंग डीसले जी की इस महान कार्य की वजह से आज लोगों का सरकारी स्कुलों की ओर देखने का नजरिया बदल रहा है.  रणजित सिंग जी की सरकारी स्कुलों को डिजिटल एजुकेशन से जोडने के इस अभूतपूर्व कार्य के लिए उन्हे ग्लोबल टीचर पुरस्कार से भी नवाजा गया है जो की हर एक भारतीय के लिए गौरव की बात है. दुनिया भर की 140 देशो के 12000 शिक्षको ने इसमे सहभाग लिया था. उन सबमे से रणजित सिंग डिसले जी को भारत को ओर से इस अवॉर्ड से नवजा गया. इस अवॉर्ड के जहरीये रणजित सिंग जी की जो राशी प्राप्त हुई है उसमे से आधी राशी वो उनके साथ चुने गये टॉप 10 फायनलिस्ट के साथ शेअर कर रहे है और बचे आधी राशी मे से भी 30 प्रतिशत राशी वो टीचर्स इनोव्हेशन फंड मे इस्तेमाल करना चाहते है. उनके इन विचारो को हम प्रणाम करते है.

       लडकियों के शिक्षा को बढावा देने वाले और देश के साथ दुनिया मे QR कोड एजुकेशन की क्रांती लाने वाले  रणजित सिंग डीसले जी के इस महान कार्य को हम सलाम करते है. दोस्तो आप इस बारे मे क्या सोचते है ये आप हमे नीचे कमेंट बॉक्स मे जरूर बतायें. 

         जय हिंद.... जय भारत... 

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